जो भी घटना घटित हो उसे केवल देखना सीखें उसके साथ जुड़े नहीं। जो व्यक्ति घटना के साथ खुद को जोड़ देता है वह दुःखी बन जाता है और जो केवल द्रष्टाभाव से घटना को देखता है, वह दुःख मुक्त रहता है। जो व्यक्ति अतीत की स्मृति में उलझा रहता है या भविष्य की कल्पना के मधुर सपने देखता है वर्तमान उसके हाथ से छूट जाता है। वह जीवन में दुःख का अनुभव करता है। वह जीवनशैली प्रशस्त होती है जो अनावेश से प्रभावित हो अनासक्ति और अनाग्रह से युक्त हो। इन तीनों से जीवन की बगिया लहलहा उठती है और आदमी का जीवन सरस और सुखी बन जाता है।