एक ऐसा साधक परव्राजक जो असंख्या कि. मी से ज्यादा चनले के बाद भी उत्साह के साथ मानवता का शंखनाद करता हुआ गतिमान है। एक ऐसा साधक जो भारतीय परम्परा को पुष्ट रखता हुआ साधनारत है। एक ऐसा प्रवचनकार जिसके उपदेश को हर जाति, वर्ग, क्षेत्र और सम्प्रदाय की जनता का आदर के साथ स्वीकार करती है। एक ऐसा समाज सुधारक जो सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों और रूढ़ धार्मिक कर्माण्डों पर तीखे प्रहार करता है। एक ऐसा साहित्यकार जो शास्त्रों के सम्पादन और नवीन कृतियों के सृजन के द्वारा साहित्य जगत को समृद्ध बना रहा है। एक ऐसा अनुशास्ता जिसके कशल आध्याथ्तमक नेतृत्व में लाखों लोग समाजोत्थान के लिए समर्पित हैं।