जैन दर्शन के उत्तराध्ययन ग्रंथ को सनातन धर्म के ग्रंथ के रूप में पवित्र माना जाता है। दोनों पुस्तकों में बहुत ही समानताएं है। यह पुस्तक ग्रंथ के गूढ रहस्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती है। इस ग्रंथ के रहस्यों को तीन पुस्तकों में प्रस्तुत किया गया है।