अध्यात्म की साधना का मौलिक तत्व है भीतर में रहना। भीतर में रहने वाला व्यक्ति आत्मिक होता है और बाहर रहने वाला व्यक्ति भैतिक दृष्टिकोण वाला होता है। अनासक्ति के साथ पदार्थाें का उपयोग करना ही रहो भीतर जीओ बाहर का मूल मंत्र है। ज्ञान चेतना वर्ष के अवसर पर प्रकाशित महाप्रज्ञजी की कृति रहो भीतर जीओ बाहर पढें एवं स्वयं को भीतर रहना सिखाएं।