आदमी जानता है और उसमें कर्म करने का सामथ्र्य है तो अहंकार के लिए खुला निमंत्रण मिल जाता है। व्यक्ति जानने की शक्ति और कर्म करने की शक्ति- दोनों से संपन्न हो और अहंकारी ना हो तो बात हो सकती है। जीवन में अहंकार आता है, जीवन टूटना शूरू हो जाता है। अहंकार से बचने का उपाय है भक्ति योग। समर्पण, विश्वास और श्रद्धा का भाव प्रबल होता है तो अहंकार को पनपने का अवसर नहीं मिलता।