तब होता है ध्यान का जन्म
ध्यान अथवा साधना के अवतरण में कुछ सीमाओं का भी निर्देश दिया गया है। ध्यान की उत्पति एक पारवर्ती मानव में नहीं होती है। जब मन और इन्द्रियों को नियंत्रित किया जाता है तब ध्यान की अवस्था उत्पन्न होती है। यह पुस्तक ध्यान साधकों हेतु अति उपयोगी है।