संघबद्ध साधना में अनुशासन, संगठन के प्रति अहोभाव, संघ के सदस्यों में पारस्परिक सौहार्द्रभाव और आध्यात्मिक साधना का महत्व होता है तो संघ महान बन सकता है। महाप्रज्ञजी की ये कृति पाठकों को संगठन की सुदृढ़ता के सूत्रों और संघ में रहकर आत्मसाधना करने की विद्या का बोध प्रदान करने वाला होगा।