प्रेक्षाध्यान की पद्धति के दो महत्त्वपूर्ण तत्त्व है-प्रेक्षा और अनुप्रेक्षा। भगवान महावीर ने सच्चाई का जीवन जीने के लिए अनुप्रेक्षा का बोध दिया। बारह अनुप्रेक्षाएं मूच्र्छा के चक्र को तोड़ने वाली है। जहां-जहां व्यक्ति में मूच्र्छा आती है अनुप्रेक्षा का प्रयोग करने से मूच्र्छ का चक्र टूट जाता है। जो व्यक्ति अनुप्रेक्षा नहीं करता, मूच्र्छा सघन होती चली जाती है। मूच्र्छित आदमी का निर्णय उसे असत्य की आरे ले जाता है।