युगीन समस्याओं का समाधान केवल युग के परिप्रेक्ष्य में पाया जा सकता है। फिर वह चाहे लोकतंत्र की समस्या हो, धर्म निरपेक्षता, सांप्रदायिकता, अमीरी-गरीबी या सुविधावादी दृष्टिकोण हो। हमारे धर्म में भी इस तरह के प्रश्नों पर गंभीर चिंतन हुआ है। लोकतंत्र नया व्यक्ति नया समाज ऐसे ही चिंतनकारी लेखों का संकलन है।