आचार्यश्री तुलसी ऐसे आचार्य थे जिन्होंने अपने उतराधिकारी को अपने जीवनकाल में ही नियुक्त कर दिया था। ऐसे महान गुरू को समर्पित यह ग्रंथ अत्यंत ही प्रेरणास्पद है। प्रस्तुत पुस्तक में आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के संवाद का विस्तृत वर्णन है