औषधीय उपचार,रसायन और भूगह की शरण में रहकर आदमी अपनी जीर्ण-शीर्ण कोशिकाओं को नया बना लेता है। कोशिका में नया होने की शक्ति सहज है। प्रयोग द्वारा उसका नवीनीकरण और अधिक गतिशील हो जाता है। परन्तु वास्तविक कल्प है आत्मा के साथ तादात्म्य का अनुभव और आराधना।