मन स्थिर होता है तो मानसिक ध्यान हो जाता ह। वचन स्थिर होता है तो वाचिक ध्यान हो जाता है। शरीर स्थिर होता है, तो कायिक ध्यान हो जाता है। काया की स्थिरता के बिना श्वास की स्थिरता नहीं हो सकती और श्वास की स्थिरता के बिना मन की स्थिरता नहीं हो सकती। हम अपने मन को स्थिर कैसे प्राप्त कर सकते हैं, को जानने के लिए पढ़े आचार्यश्री महाप्रज्ञ की महत्वपूर्ण कृति मन के जीते जीत