प्रस्तुत पुस्तक में आचार्यश्री महाप्रज्ञ का मौलिक वैचारिक अवदान है। इसमें अणुव्रत से संबंधित वक्तव्यों/आलेखों का समवाय है। यह समवाय एक सुनिश्चित लक्ष्य और सुव्यवस्थित योजना की फलश्रुति है, जिसकी निर्धारणा परम श्रद्धेय आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने स्वयं अपने मार्गदशर्न एवं दिशा-निर्देशन में की है।