सद्विचार उत्पन्न करने का एक माध्यम है सत्साहित्य। आचार्यश्री महप्रज्ञ जी ने सत्प्रवचन भी किया और सत्साहित्य का निर्माण भी किया। आचार्यश्री के प्रवचनों को 48 भाग में संकलित किया गया है। आचार्य श्री के विचारों को पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास इन कृतियों के माध्यम से किया जा रहा है।