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Mahapragya Vaangmay-102 (Raho Bhitar Jio Bahar) (महाप्रज्ञ वांग्म-102 (रहो भीतर जीओ बाहर))

Author: Acharya Mahapragya
Category: Mahapragya Vangmay
Released: 2019
Language: Hindi
Pages: 230
350 (Inclusive all of Taxes)
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अध्यात्म की साधना का मौलिक तत्व है भीतर में रहना। भीतर में रहने वाला व्यक्ति आत्मिक होता है और बाहर रहने वाला व्यक्ति भैतिक दृष्टिकोण वाला होता है। अनासक्ति के साथ पदार्थाें का उपयोग करना ही रहो भीतर जीओ बाहर का मूल मंत्र है। ज्ञान चेतना वर्ष के अवसर पर प्रकाशित महाप्रज्ञजी की कृति रहो भीतर जीओ बाहर पढें एवं स्वयं को भीतर रहना सिखाएं।
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